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“इंफोसिस वाले क्या सबकुछ जानते हैं”… सिद्धारमैया का सुधा मूर्ति पर तंज, CM बोले- गलतफहमी में जी रहीं

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति और उनकी पत्नी, लेखिका और समाजसेवी सुधा मूर्ति पर सीधा निशाना साधा है. वजहराज्य सरकार का सामाजिक-आर्थिक सर्वे, जिसमें मूर्ति दंपति ने हिस्सा लेने से मना कर दिया.

सिद्धारमैया ने कहा कि मूर्ति दंपति को गलतफहमी हो गई है कि यह सर्वे सिर्फ पिछड़े वर्गों के लिए किया जा रहा है, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है. उन्होंने कहा कि यह सर्वे पूरी आबादी के लिए है, ताकि सरकार को यह पता चल सके कि किस वर्ग की सामाजिक और आर्थिक स्थिति कैसी है.

यह सर्वे सात करोड़ लोगों के लिए है”
पत्रकारों से बात करते हुए सिद्धारमैया ने कहा, “यह सर्वे पूरे राज्य की सात करोड़ जनता के लिए है. इसमें गरीब, अमीर, ऊंची जाति, निचली जातिसबको शामिल किया गया है. कुछ लोगों के बीच यह गलतफहमी फैली हुई है कि यह सिर्फ पिछड़ों का सर्वे है, जबकि ऐसा नहीं है. सरकार ने अखबारों और विज्ञापनों के ज़रिए यह बात साफ कर दी है.”

मुख्यमंत्री ने आगे कहाक्या इंफोसिस वाले कोई विशेषज्ञ हैं? उन्हें अगर इतना भी नहीं समझ आता कि यह सर्वे सबका है, तो हम क्या करें? क्या सिर्फ इसलिए कि वे इंफोसिस से हैं, तो सब कुछ जानते हैं? जैसे ऊंची जाति वालों को फ्री बिजली नहीं मिलती या बस यात्रा का फायदा सबको नहीं मिलता, वैसे ही यह सर्वे भी सबका है.”

मूर्ति दंपति ने क्यों ठुकराया सर्वे?
दरअसल, जब सरकारी सर्वे टीम इंफोसिस फाउंडर नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति के घर पहुंची, तो दोनों ने सर्वे में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया. उनका कहना था कि वे किसी पिछड़े वर्ग से नहीं आते, इसलिए यह सर्वे उनके लिए उपयोगी नहीं है.

सुधा मूर्ति ने तो बाकायदा एक स्व-घोषणा पत्र पर साइन करके यह बात लिखी कि “हम किसी पिछड़े वर्ग से नहीं हैं, इसलिए इस सर्वे में हिस्सा नहीं लेंगे.” यह फॉर्म कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की तरफ से जारी किया गया था, जो इस सामाजिक और शैक्षणिक सर्वे को करा रहा है.

सरकार के मंत्रियों की अलग-अलग राय
डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार ने कहा कि सरकार किसी पर सर्वे में शामिल होने का दबाव नहीं डाल रही. उन्होंने कहा, “यह सर्वे पूरी तरह स्वैच्छिक (voluntary) है. कोई चाहे तो हिस्सा ले सकता है, चाहे तो नहीं. सरकार बस डेटा जुटाना चाहती है, किसी को मजबूर नहीं किया जा रहा.”

वहीं, मंत्री संतोष लाड ने कहा कि सुधा मूर्ति का फैसला उनका निजी मामला है. लेकिन उन्होंने यह भी कहा- जब केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों (EWS) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण दिया है, तो सुधा मूर्ति को उस पर भी अपनी राय रखनी चाहिए.”

बीजेपी से प्रभावित हैं सुधा मूर्ति”- प्रियंक खड़गे
कर्नाटक के मंत्री प्रियंक खड़गे ने सुधा मूर्ति के फैसले पर हैरानी जताई. उन्होंने कहायह हैरान करने वाली बात है कि एक सांसद और प्रेरक व्यक्तित्व ऐसी सोच दिखा रहे हैं. ऐसा लगता है कि उनका यह कदम बीजेपी नेताओं से प्रभावित है. उनसे उम्मीद थी कि वे इस सर्वे में भाग लेकर समाज के सामने एक मिसाल पेश करेंगी.”

क्या है ये कर्नाटक का सामाजिक-आर्थिक सर्वे?
राज्य सरकार का यह सर्वे 22 सितंबर से शुरू हुआ था और पहले 7 अक्टूबर तक चलने वाला था, लेकिन बाद में इसे 18 अक्टूबर तक बढ़ा दिया गया. यह सर्वे कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के ज़रिए किया जा रहा है. इसमें 60 मुख्य सवाल और 20 उप-सवाल हैं, जिनसे राज्य की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति का पूरा डेटा इकट्ठा किया जा रहा है. सरकार का कहना है कि इस सर्वे के बाद नीतियां बनाना आसान होगा, ताकि योजनाओं का फायदा हर वर्ग तक सही तरीके से पहुंचे.

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